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बंगला नम्बर 2017 पार्ट 3

क्या हुआ, चाबी क्यों फेंक दी"? राम ने पूछा

"चाबी पर खून है"! जानकी ने कहा

राम ने चाबी की तरफ देखा और उसे उठाकर कहा -"तुम यह डरावने सीरियल, देखना बंद करो, कहां है खून, इस पर"! राम ने चाबी दिखाते हुए पूछा

"अभी मैंने देखा"! जानकी ने कहा

"यह तुम्हारा वहम है, मैं आता हूं, खाना लगाओ"!

"सुनो"! "चाबी को भगवान के मंदिर में रख देना"! जानकी ने कहा

फिर जानकी मैनेजर से पूछती है -"मकान देखने से पहले, मंदिर गए थे"!

"हां, भाभी जी, गए थे, पंडित ने कहा, "सर"! "के सिर पर मंगल की माया और शनि का साया है, जाप कराने होंगे, नहीं तो कुछ अपशगुन होगा,"!मैनेजर ने बताया

"कल ही किसी, अच्छे पंडित को मेरे पास भेजना, पहले हम नए मकान का शुद्धिकरण कराएंगे, उसके बाद, गृह प्रवेश करेंगे और उनके शनि, मंगल के जाप भी कराने हैं"!

"ठीक है, भाभी जी, भेज दूंगा, अब चलता हूं"!

फिर राम और जानकी साथ, खाना खाते हैं

"दाल कैसी बनी है"? जानकी ने पूछा

"जैसी रोज बनती है"! राम ने बताया

"रोज यही कहते हो, कभी तारीफ भी कर दिया करो, मुंह में छाले नहीं हो जाएंगे"! जानकी ने कहा

"तुम भी तो रोज एक ही सवाल पूछती हो, तुम्हारी जुबान को यह सवाल बोरिंग नहीं लगता, अरे  अच्छी बनी है, मजाक कर रहा हूं, कल हम बंगला देखन देखने चलेंगे"!

"में पहले मैं किसी अच्छे वास्तुकार से पूरे बंगले की जांच कराऊंगी, उसके बाद देखने चलूंगी, मुझे सुबह ₹5000 दे देना और मैं मजाक नहीं कर रही हूं"!

"तुम्हारे, पापा भी तो बहुत बड़े, वास्तुदोष के विद्वान, पंडित है, उन्हीं से छानबीन करा लो, ₹5000 बच जाएंगे"! राम ने कहा

"अरे, हां,, अच्छा याद दिलाया, इसी बहाने पापा, हमारा नया बंगला भी देख लेंगे"!

कुछ देर बाद

खाना खाकर राम और जानकी, अपने बेड पर बैठे हैं, तब राम कहता है -"अब तुम्हें कोई ताना नहीं मारेगा कि हम किराए के मकान में रहते हैं, मैं सोच रहा था, हम गृह प्रवेश के दिन, इन सभी ताना मारने वाले लोगों को इनवाइट करते हैं, इन्हें भी तो पता चले की मैंने, अपनी रानी के लिए महल लिया है"!राम ने कहा

"कोई जरूरत नहीं है, फोकट खर्च करने की, इन ताना मारने वाले, लोगों को तो मैं, हमारे घर के स्टेटस, दिखा दिखा कर जलाउंगी, कैसा है, हमारा नया घर"? जानकी ने अपनत्व से पूछा

"स्वर्ग से भी सुंदर, वहां पहुंचकर, मुझे ऐसा सुकून मिला - जैसे वह मेरे लिए ही बना है और वह मेरा इंतजार कर रहा था"! राम ने बताया

"मेरे सपने को, पूरा करने के लिए तुमने बहुत मेहनत की है"! जानकी ने राम का हाथ थाम कर कहा

"तुम्हारे नहीं,हमारे सपनों को पूरा करने के लिए और तुमने भी तो उतनी ही मेहनत की है, जितनी मैंने की, तुमने, मेरे साथ बुरे से बुरे दिन देखे पर कभी शिकायत नहीं की, हमेशा मेरा साथ दिया, आज मैं जो भी हूं, तुम्हारे सच्चे प्यार और सच्चे विश्वास के कारण ही हूं"! राम ने गंभीरता से कहा

"लाइन मार कर, मुझे पटाने की कोशिश कर रहे हो"! जानकी ने कहा

"हां"!,,,,,,राम ने कहा

"तुम्हारे इस "हां"!, पर दूसरी लड़कियां मरती होगी, मैं तो तुम्हारी किसी और अदा की दीवानी हूं"! जानकी ने कहा

"ओ,, थारी, जीजी, की,मुझमें, इससे अच्छी तो कोई दूसरी अदा, है, ही, नहीं"! राम ने बताया

"वह सिर्फ मुझे पता है, शायद तुम भी उस से अनजान हो"! जानकी ने कहा

तभी जानकी का फोन बजता है जानकी उठकर फोन उठाती है "राधे-राधे, पापा जी, अच्छा किया, जो आपने फोन लगा दिया, नहीं तो, मैं फोन लगाने ही वाली थी, आज हमने एक बंगले का सौदा किया है, आप सुबह आकर देख लेना और कोई वास्तुदोष हो तो बताना, अच्छा,,आप सुबह 8:00 बजे आ रहे हो, ठीक है, आ जाना, शुभ रात्रि"!

जानकी फोन रख कर देखती है, राम सो गया है फिर जानकी, राम पर चादर ओढ़ा कर खुद भी सो जाती है

आगे कहानी सुबह

"जानकी"! "एक कप चाय, पिला दो"! राम ने सोते हुए बिस्तर से कहा

जानकी आकर कहती है -"ना बाथरूम गए, ना ब्रश किया, ना नहाए, पहले यह सब करो, फिर सबसे पहले, लड्डू गोपाल को भोग लगाओ, तुम्हारे चक्कर में 1 घंटे से भूखे बैठे हैं, मंदिर में, आज हमारे पास जो भी है, लड्डू गोपाल की कृपा से ही है, पहले यह सब करो"! जानकी ने राम का हाथ पकड़ कर उठाते हुए कहा

कुछ देर बाद

राम तैयार होकर आता है और कहता है -"नाश्ता लगा दो, मैनेजर आने वाला है"!

"लड्डू गोपाल को भोग लगा दो, पहले"! जानकी ने याद दिलाया

फिर राम, लडडू गोपाल को भोग लगाता है और जानकी से पूछता है -"इन्हें, हम रोज भोग लगाते हैं पर यह खाते नहीं है"!

"भगवान खाने पीने के भूखे नहीं होते, भक्तों के भाव के भूखे होते हैं"! जानकी ने बताया

राम, जानकी साथ नाश्ता कर रहे हैं, तभी राम का ससुर भी आ जाता है

"राधे-राधे बिटिया, राधे राधे जमाई जी"! ससुर ने कहा

"राधे-राधे"! "पापा जी, आइये नाश्ता कीजिए"! जानकी ने पूछा

'नहीं बिटिया, मैं नाश्ता करके आया हूं, राम के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे हैं, इसीलिए कुछ उपाय बताना है और तुम्हारे नए घर क वास्तु भी देखना है, इसीलिए दौड़ा चला आया"! ससुर ने कहा

राम नाश्ता करके कहता है -"मैं गाड़ी बाहर निकालता हूं, पापा को बाहर भेज देना, उन्हें बांग्ला दिखा दूंगा"!

और वहां से चला गया, राम के जाने के बाद जानकी कहती है -"पापा, मुझे यह नया घर, कुछ ठीक नहीं लग रह रहा है, जैसे ही मैंने चाबी, अपने हाथ में ली, मैंने चाबी को खून में रंगी देखा और अगले ही क्षण, चाबियों से खून गायब हो गया"!

"मैं आ गया हूं, अब सब ठीक हो जाएगा, अरे,,,मेरे सिर पर बाल नहीं है, उससे ज्यादा भूत भगाए है मैंने, अभी जाकर तेरे घर की सारी अलाए-बलाए भगाता हूं"! ससुर ने कहा

"चाबी मंदिर में रखी है"! जानकी ने इशारा करते हुए पापा से कहा

फिर वह चाबी उठाकर घर के बाहर आते हैं तो राम का मैनेजर, उन्हें प्रणाम करता है और कहता है -"गुरु जी, मेरी एक बहुत बड़ी समस्या है, कोई उपाय हो तो बताओ, मेरी शादी नहीं हो रही है"!

"तुम्हारी समस्या का एक ही उपाय है, सभी लड़कियों को बहन की नजर से देखो, किसी न किसी को तो, तुम पर दया आ ही जाएगी"! ससुर ने व्यंग्य भाव से कहा

फिर वह तीनों "बंग्ला नंबर 217" पहुंचते हैं

"गुरुजी, इस बंगले में बड़ी खतरनाक चुड़ैल रहती है, सावधानी से जाना"! मैनेजर ने कहा

"अरे,,चुड़ैलों को तो मैं, एक झटके में, अपनी मुट्ठी में कैद कर लेता हूं, अभी पकड़ कर लाता हूं,इस घर की चुड़ैल को"! ससुर ने कहा

"पापा, मुझे जल्दी है, इसलिए आप, बंग्ला देखकर वापस ताला लगा देना"! राम ने कहा

"ठीक है, बेटा, आराम से जाना"! ससुर ने कहा

राम अपने ससुर को उतार कर चला जाता है

फिर उसका ससुर बंगले का ताला खोलता है और अपने हाथ में एक नींबू रखकर, मुट्ठी बांधकर, घर में आता है और कुछ मंत्रों को पड़ता है, कुछ देर बाद, उसके कानों में एक अजीब आवाज आती है """'पंडित योगेश्वर शास्त्री"""" अजीब आवाज में अपना नाम सुनकर, वह अपनी मुट्ठी खोलता है तो देखता है, मुट्ठी में रखा नींबू, राख बन गया है, यह देखकर उसके पसीने छूट जाते हैं और वह बहुत घबरा जाता है

तभी कोई अजीब शक्ति, उसके पास आकर, बहुत तेजी से उसकी, परिक्रमा करने लगती है और वह भी घूमने लग जाता है और कुछ देर बाद, वह अकस्मात हंसता है

"""हाहाहाहाहाहा""

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